गिरा नज़रों से भी हूँ और
दिल का भी निकाला हूँ ।।
यक़ीनन हूँ बुझा सूरज पिघलता
बर्फ काला हूँ ।।
समझते हैं जो ऐसा आज वो कल
जान जाएँगे ,
मैं तल का मैकदा हूँ या हिमालय
का शिवाला हूँ ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
2 comments:
Talka maekada hun ya himalay ka shiwalahun"
Bahut sundar Dr sahab
धन्यवाद ! shishir kumar जी !
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