Monday, March 25, 2013

मुक्तक : 130 - गिरा नज़रों से भी


गिरा नज़रों से भी हूँ और दिल का भी निकाला हूँ ।।
यक़ीनन हूँ बुझा सूरज पिघलता बर्फ काला हूँ ।।
समझते हैं जो ऐसा आज वो कल जान जाएँगे ,
मैं तल का मैकदा हूँ या हिमालय का शिवाला हूँ ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

2 comments:

shishir kumar said...

Talka maekada hun ya himalay ka shiwalahun"
Bahut sundar Dr sahab

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! shishir kumar जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...