Sunday, March 17, 2013

मुक्तक : 121 - किससे बुझाऊँ आग


 किससे बुझाऊँ आग कि पानी ही जल रहा ।।
करता है जो इलाज वो बीमार चल रहा ।।
ग़ैरों पे एतबार का सवाल ही कहाँ ?
अपनों को जबकि अपना ही हँस हँस के छल रहा ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...