Friday, March 15, 2013

67 : ग़ज़ल - मुझसे तो तेरे बिना


मुझसे तो तेरे बिना अब न जिया जाएगा ।।
हर लम्हा घुट के मरा सिर्फ़ मरा जाएगा ।।1।।
फ़ायदा होगा तेरा ख़ूब जो मरने से मेरे ,
तो बिना जाँ न दिए मुझसे रहा जाएगा ।।2।।
नर्म ख़्वाबों की लिए ओट भला कितने दिन ,
आख़िरश सख़्त हक़ीक़त से बचा जाएगा ?3।।
बंद कर बंद ही कर आज अभी रहमोकरम ,
और एहसान तले अब न दबा जाएगा ।।4।।
तेरे क़दमों से क़दम शाने से शाने को मिला ,
तू हिरण , कछुआ मैं ; हरगिज़ न चला जाएगा ।।5।।
तंग फाकों से बहुत आके ख़रीदा है ज़ह्र ,
पेट की आग में लंबा न जला जाएगा ।।6।।
तुझको तकने में गिरे टोपी भला यों किससे ,
इस फ़लकबोस बुलंदी पे चढ़ा जाएगा ।।7।।
पैंतरेबाज़ी जो सीखा है मुझी से गर आज ,
उससे ही बाज़ी लगाऊँ तो हरा जाएगा ।।8।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...