Monday, March 18, 2013

मुक्तक :122 - जब तलक थे




जब तलक थे तेरे दिल के बादशा हम ।।
थे ,यूँ लगता था ख़ुदाई के ख़ुदा हम ।। 
तेरी नज़रों से गिरे ,दिल से फिँँके तो ,
जीते जी लगने लगे मुर्दा जला हम ।। 
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

2 comments:

Unknown said...

बहुत सुन्दर

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Lekhika 'Pari M Shlok' जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...