Friday, March 15, 2013

मुक्तक : 118 - उसने तक़्दीर


उसने तक़्दीर यक़ीनन क़माल पाई है ।।
कछुआ होकर भी हिरन जैसी चाल पाई है ।।
शेर-हाथी से भी बढ़कर वो काम करता पर ,
शक्ल-ओ-सूरत ने छछूँँदर सी ढाल पाई है ।।
डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...