Monday, March 11, 2013

मुक्तक : 105 - गर अपने कर्मों का


गर अपने कर्मों का ही नतीजा है सफलता ।।
फ़िर किसलिए करूँ मैं उसका शुक्रिया अता ?
बरबादियों का अपनी ख़ुद सबब हूँ तो उसे ,
क्यों गालियाँ बकूँ कहूँ भला-बुरा बता ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...