Tuesday, March 12, 2013

मुक्तक : 109 - डर है कि


( चित्र Google Search से साभार )

डर है कि टूट जाये मेरी खोपड़ी न आज ।।
किसने चलाया ये अजीब अटपटा रिवाज़ ?
हों बंद इस तरह बेतुकी परम्पराएँ ,
रखिये वो अनवरत कि जिनपे आपको हो नाज़ ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...