Wednesday, March 27, 2013

77 : ग़ज़ल - सावधान होली के रंग में


सावधान होली के रंग में , 
भंग ना मिला जाए कोई रे ।।
रंग से जो चिढ़ते हैं उनको ही , 
रंग ना लगा जाए कोई रे ।।
जिसको रंग ना भाए उसको सच , 
भूल मत कभी रंग घोलिए ,
ये न हो कि भर क्रोध में किसी , 
का लहू बहा जाए कोई रे ।।
आजकल तो होली की आड़ में , 
लोग बाग बदले निकालते ,
खेलना तो पर देखभाल कर , 
बैर ना निभा जाए कोई रे ।।
घर से सर पे सौगंध चल उठा , 
कोई लाख तुझको दुहाई दे ,
भावना में भर और कर विवश , 
भंग ना पिला जाए कोई रे ।।
वय ये तेरी सुन रख रही है डग , 
देहरी पे जोबन की तो है डर ,
होरिहा न होली की ओट में , 
वक्ष से सटा जाए कोई रे ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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