Saturday, March 30, 2013

मुक्तक : 133 - मैं कब दीद के क़ाबिल



मैं कब दीद के क़ाबिल फ़िर भी तकते मुझे रहो !!
क्यों करते हो मुझे तुम इतना ज़्यादा प्यार कहो ?
मेरे रूप-रंग पर भूले भी जो पड़े नज़र ,
दुनिया करती है छिः छिः तुम वा-वा अहो-अहो !!
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...