सब कुछ ठोस कठोर ही न हो
कुछ निश्चित तारल्य भी हो ।।
कुछ निश्चित तारल्य भी हो ।।
जीवन में कठिनाई रहे पर
थोड़ा तो सारल्य भी हो ।।
थोड़ा तो सारल्य भी हो ।।
मैं कब केवल अभिलाषी हूँ
अमृत घट का हे ईश्वर ,
अमृत घट का हे ईश्वर ,
प्रत्युत उसमें औषधि जितना
स्वयं कहूँ गारल्य भी हो ।।
स्वयं कहूँ गारल्य भी हो ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
3 comments:
धन्यवाद ! sriram जी !
ग़ज़ब का शब्द माधुर्य है
धन्यवाद ! mass जी !
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