मुफ़्त मिले तो पीलूँ दारू भी मटका भर-भर कर ।।
गर ख़रीद पीना हो पानी तो न पिऊँ चुल्लू भर ।।
डॉलर-पौंड कमाऊँ ख़र्चा
करूँ न इक रुपया भी ,
कपड़ा मिल का मालिक हूँ पर रहता हूँ मैं दिगंबर ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
1 comment:
धन्यवाद ! sriram जी !
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