बस एक बार दिल में तेरे पालूँ जगह मैं ।।
ये शहर क्या फिर दुनिया को कर डालूँ फतह मैं ।।
ये शहर क्या फिर दुनिया को कर डालूँ फतह मैं ।।
बन जाऊँ तेरा जिन्न तुझको आक़ा बना लूँ ,
हर हुक़्म की तामील करूँ ठीक तरह मैं ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
2 comments:
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ....
सादर
अनु
धन्यवाद ! expression अनुलता जी !
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