Tuesday, April 16, 2013

मुक्तक : 162 - शेर ख़ुदको


शेर ख़ुदको उनको मृगछौना बनाने के लिए ॥
ख़ुदको बोतल उनको अधपौना बनाने के लिए ॥
उनको खाई में गिराने का न कर कुत्सित जतन ,
तू गगन बन जा उन्हें बौना बनाने के लिए ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...