Sunday, April 28, 2013

मुक्तक : 184 - अपने ख़स्ताहाल पे


अपने ख़स्ता हाल पे औरों , के धन से चिढ़ हो ॥
देख बहुत अपना बूढ़ापन , यौवन से चिढ़ हो ॥
और यही मन और भी दुःख देता है जब अपना ,
रोग असाध्य हो तो स्वस्थों के , जीवन से चिढ़ हो ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...