Friday, April 19, 2013

85 : ग़ज़ल - ग़मी में एक दिन



ग़मी में एक दिन खुशियाँ , मनाने का चलन होगा ।।
उजालों के लिए शम्मा , बुझाने का चलन होगा ।।1।।
किया करते हैं हम जिस तरह से बर्बाद पानी को ,
कि इक दिन इक महीने में , नहाने का चलन होगा ।।2।।
यूँ ही मरती रहीं गर पेट में ही लड़कियाँ इक दिन ,
कई लड़कों से इक लड़की , बिहाने का चलन होगा ।।3।।
इसी तादाद में खाता रहा गर जानवर इंसाँ ,
किसी दिन आदमी के गोश्त , खाने का चलन होगा ।।4।।
जो रातों रात दौलत मंद अगर सब बनना चाहेंगे ,
तो नंबर दो से ही पैसा , कमाने का चलन होगा ।।5।।
तरक़्क़ी में अगर आड़े ज़मीर आता रहे जब-तब ,
तो इस बेदार रोड़े को , सुलाने का चलन होगा ।।6।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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