है अभी भी अपना पर , अपना नहीं लगता हमें ।।
जाने क्यों अपना ही घर , अपना नहीं लगता हमें ।।
जिसमें हम पैदा हुए , सारी गुज़ारी ज़िंदगी ,
अब वही प्यारा नगर , अपना नहीं लगता हमें ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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