Friday, April 5, 2013

मुक्तक : 137 - है अभी भी अपना


है अभी भी अपना पर , अपना नहीं लगता हमें ।।
जाने क्यों अपना ही घर , अपना नहीं लगता हमें ।।
जिसमें हम पैदा हुए , सारी गुज़ारी ज़िंदगी ,
अब वही प्यारा नगर , अपना नहीं लगता हमें ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...