Saturday, April 6, 2013

83 : ग़ज़ल - किसने बख़्शा है


किसने बख़्शा है किसने छोड़ा है ?
हर किसी ने तो दिल को तोड़ा है ।।1।।
सिर्फ़ दुश्मन ही कब तरक़्क़ी में ,
दोस्त भी आज एक रोड़ा है ।।2।।
हाँ ग़रज़ के लिए ही आपस में ,
ख़ुद को लोगों ने सबसे जोड़ा है ।।3।।
दूसरों के लिए जो है घोंघा ,
ख़ुद की ख़ातिर अरब का घोड़ा है ।।4।।
सब हिफ़ाज़त को अपनी ही मरते ,
मुल्क़ रख फ़ौजियों पे छोड़ा है ।।5।।
बाद शादी के बाप-माँ से क्यों ,
प्यार बेटों में बचता थोड़ा है ?6।।
एक मुद्दत से है भरा बैठा ,
छेड़ मत पक चुका वो फोड़ा है ।।7।।
हाल गन्ने का वो करेगा क्या ,
जिसने बालू को भी निचोड़ा है ?8।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...