Thursday, April 18, 2013

मुक्तक : 170 - खुल के दीदार


खुल के दीदार न दो चाहे तुम झरोखे से ॥
हम तुम्हें देख ही लेंगे कहीं भी धोख़े से ॥
एक जैसे ही लगें सब न कोई ख़ास यहाँ ,
तुम ही दिखते हो अनोखे से थोड़े चोखे से ॥
डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...