Thursday, April 25, 2013

उठकर ज्यों है.....................

उठकर ज्यों है आदत 
मंजन करने की ॥
रोज़ नहाने – धोने 
भोजन करने की ॥
टाइम – पास नहीं मेरा 
कविता करना ॥
राधा – मीरा का 
श्रीकृष्ण पे है मरना ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...