Friday, April 12, 2013

मुक्तक : 152 - रहा करते हैं तनहाई में


रहा करते हैं तनहाई में हर इक छोड़ दी महफ़िल ।।
नशे में अब फिरा करते हैं गलियों में हुए गाफ़िल ।।
कि जबसे हो गए नाकामयाब इक अपने मक़्सद में ,
तभी से मौत को अपनी मुक़र्रर की नई मंज़िल ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...