Thursday, April 11, 2013

मुक्तक : 150 - ख्वाबों से खुद


ख़्वाबों से ख़ुद को भरसक हम दूर कर रहे हैं ।।
दिल पर हम अपने क़ाबू भरपूर कर रहे हैं ।।
क्या चाहते हैं हम ख़ुद हमको पता नहीं है ,
जो कुछ भी मिल रहा है मंजूर कर रहे हैं ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति  

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...