Saturday, April 13, 2013

मुक्तक : 156 (B) - हर वक़्त जेहनोदिल में



हर वक़्त जेह्न-ओ- दिल में इक ही सवाल था ।।
क्यों बर्फ़ का सुलगते शोलों सा हाल था  ?
देखा कभी न जिसको दुश्मन पे भी खफ़ा ,
अपनों पे आज वो ही ग़ुस्से से लाल था ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...