Wednesday, April 17, 2013

मुक्तक : 166 - सब रामत्व विहीन



सब रामत्व विहीन मारने रावण आए ॥
रक्तबीज सा वह क्यों ना पुनि-पुनि जी जाए ॥
सचमुच हो जो रावण के वध का अभिलाषी ,
सर्वप्रथम वह स्वयं को  पूरा राम बनाए ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...