Wednesday, April 24, 2013

मुक्तक : 178 - पेटू को जैसे


पेटू को जैसे चटनी-चाट-अचार का चस्का ॥
चारागरों , हकीमों को बीमार का चस्का ॥
जैसे कि जुआरी को जुआ की लगी हो लत ,
दिन-रात मुझको तेरे है दीदार का चस्का ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...