Sunday, April 7, 2013

मुक्तक : 138 - कितने मुर्दों में



कितने मुर्दों में नई , फूँक जान देते हैं ?
कितने मुफ़्लिस को जमा , धन का दान देते हैं ?
कितने भूखों को दिया , करते हैं दाना-पानी ?
कितने बेघर को ठिकाना-मकान देने हैं ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...