Friday, April 26, 2013

मुक्तक : 182 - जिन्हें सपनों में


जिन्हें सपनों में भी ना पा सकें उन पर ही मरते हैं !!
न जाने कैसी-कैसी कल्पनाएँ लोग करते हैं ?
चकोरों को पता है मिल नहीं सकता उन्हें चंदा ,
वे फिर भी उसको निश भर तक निरंतर आह भरते हैं !!
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

2 comments:

Unknown said...

खूबसूरत !!

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Lekhika 'Pari M Shlok' जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...