Monday, April 8, 2013

मुक्तक : 141- जैसे कि तेरी फ़ित्रत


जैसे कि तेरी फ़ित्रत है सिर्फ़ दग़ा करना ।।
मेरी है यक़ीनन सिर्फ़ोसिर्फ़ वफ़ा करना ।।
डसना जो तेरी ख़ूबी में ख़ासियत में शामिल ,
तो मैं तबीब मेरा है फ़र्ज़ दवा करना ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...