Sunday, April 21, 2013

स्वप्न सुसज्जित................

स्वप्न-सुसज्जित 
झूठी कभी न जगती पर ॥
जीना है मुझको 
यथार्थ की धरती पर ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति  

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...