Sunday, April 14, 2013

मुक्तक : 159 - जितना खट्टी कैरियों


जितना खट्टी कैरियों का मीठे साँटों का लगा ॥
प्यार में चुंबन के सँग औचित्य चाँटों का लगा ॥
गौर मुख पर श्याम तिल जैसे लगाता चाँद चौ ,
पुष्प उद्यानों में यों अस्तित्व काँटों का लगा ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 






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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...