Wednesday, April 17, 2013

मुक्तक : 164 - मेरी आँखों को


मेरी आँखों को सुकूँ चैन-ओ-क़रार मिले ॥
मौत से पहले बस इक दीद तेरा यार मिले ॥
दुखता दिल राहत-ओ-आराम पा ही जाए अगर ,
बोसा होठों का गले बाजुओं का हार मिले ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...