Thursday, April 11, 2013

मुक्तक : 151 - क़ाबिल ही नहीं


क़ाबिल ही नहीं होते कामयाब सुन जहान ।।
नालायकों ने भी छुए हैं सात आस्मान ।।
अंधे के हाथ भी यहाँ लगा करे बटेर ,
पाते हैं कितने भुस की जा गुलाब-ओ-ज़ा'फ़रान ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

2 comments:

धीरेन्द्र अस्थाना said...

100% sahi likha hai.

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! धीरेन्द्र अस्थाना जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...