क़ाबिल ही नहीं होते कामयाब सुन जहान ।।
नालायकों ने भी छुए हैं सात आस्मान ।।
अंधे के हाथ भी यहाँ लगा करे बटेर ,
पाते हैं कितने भुस की जा गुलाब-ओ-ज़ा'फ़रान ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
2 comments:
100% sahi likha hai.
धन्यवाद ! धीरेन्द्र अस्थाना जी !
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