Tuesday, April 30, 2013

मुक्तक :186 - टोपी बंडी कुर्ता



टोपी बंडी कुर्ता क्या है पाजामें फटवा दूँगा ॥
संसद से हर गली सड़क तक हंगामें मचवा दूँगा ॥
मैं मतदाता हूँ विवेक से वोट अगर देने चल दूँ ,
कितने ही कुर्सी सिंहासन उलट पलट करवा दूँगा ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...