Friday, April 12, 2013

मुक्तक : 154 - अपनी चुन-चुन के




अपनी चुन-चुन के हर इक पूरी रज़ा करते हैं ।।


काम कुछ ऐसे किये हैं कि मज़ा करते हैं ।।


सख़्त बचते हैं बुराई से बुरे लोगों से ,


जो भी करते हैं बहुत ठोक-बजा करते हैं ।।


-डॉ. हीरालाल प्रजापति

2 comments:

Pratibha Verma said...

वाह बात है।।
पधारें "आँसुओं के मोती"

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Pratibha Verma जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...