Tuesday, April 16, 2013

मुक्तक : 163 - मुफ़्लिसी मेरी


मुफ़्लिसी मेरी मिटी मेरी ग़रीबी कम हुई ॥
सच कहूँ तो जबसे मेरी बदनसीबी कम हुई ॥
दोस्त-रिश्तेदार मुझसे पेश यों आने लगे ,
मुझको लगता है मेरी उनसे क़रीबी कम हुई !!
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...