Wednesday, April 10, 2013

मुक्तक : 147 - जबकि जी भर के


जबकि जी भर के सताया है रुलाया है मुझे ॥
फ़िर भी लगता है मोहब्बत ने बनाया है मुझे ॥
उसको पाने को ही सिफ़र से हुआ हज़ार था मैं ,
उसके ना मिलने ने मिट्टी में मिलाया है मुझे ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति  

1 comment:

Unknown said...

NICE ,NICE EXTRA WOW

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...