Friday, April 19, 2013

मुक्तक : 172 - आव देखा न ताव


आव देखा न ताव उनका झट चुनाव किया ॥
पर बहुत देर बाद प्रेम का प्रस्ताव किया ॥
तब तक उनके कहीं पे और लड़ चुके थे नयन ,
अपना ख़त ख़ुद ही फाड़ राह में फैलाव किया ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...