Sunday, April 7, 2013

मुक्तक : 139 - भीगी बिल्ली थी


भीगी बिल्ली थी खौफ़नाक शेरनी अब है ।।
कुंद चाकू वो धारदार लेखनी अब है ।।
 उसने बदला है अपनी शख़्सियत का यों जामा ,
बेअसर थी जो पहले बाअसर बनी अब है ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...