ज्यों नदी कोई समुंदर
से जा के मिलती है ॥
ख़ल्वतों में वो मुझसे ऐसे आ के मिलती है ॥
और दुनिया के आगे एक अजनबी
की तरह ,
दूर से ही नज़र झुका-झुका
के मिलती है ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
1 comment:
धन्यवाद ! Sriram Roy जी !
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