Sunday, April 14, 2013

मुक्तक : 158 - छूने से तेरा


छूने से तेरा छुइमुई जैसा ही सिमट जाना ॥ 

इसरार पे शजर की बेलों सा लिपट जाना ॥

तेरी इन्हीं अदाओं पे रोज़ हो मेरा यों ,

ज्यों शम्अ पे शरारे का जल हो निपट जाना ॥ 

-डॉ. हीरालाल प्रजापति

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...