Wednesday, April 10, 2013

मुक्तक : 146 - उसका हर इक


उसका हर इक दुकान में खाता उधार रख ।।
जो अपना पेट पाल न सकता हो मार रख ।।
होती न उसकी क़द्र तो घर में न बाहरे ,
या रब किसी को भी न तू बेरोज़गार रख ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...