Thursday, May 30, 2013

मुक्तक : 236 - जानता हूँ ये



( चित्र Google Search से साभार )

जानता हूँ ये कि वो निश्चित ही कुछ पथभ्रष्ट है ॥
थोड़ी उच्छृंखल है और थोड़ी बहुत वह धृष्ट है ॥
इतने सब के बाद भी उस पर मेरा पागल हृदय ,
घोर अचरज.... तीव्रता से हो रहा आकृष्ट है ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

1 comment:

Anonymous said...

Hi there colleagues, its impressive paragraph about cultureand fully explained, keep it up all the time.


my homepage ... domain

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...