उम्र भर ख़ाली रहा जो वक़्ते रुख़्सत भर गया ॥
इक वो हैरतनाक ऐसा कारनामा
कर गया ॥
जिससे बढ़कर और दुनिया
में नहींं ख़ुदगर्ज़ था ,
कल मगर इक अजनबी की जाँ बचाते मर गया ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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