Saturday, May 25, 2013

मुक्तक : 231 - उम्र भर खाली


उम्र भर ख़ाली रहा जो वक़्ते रुख़्सत भर गया ॥
इक वो हैरतनाक ऐसा कारनामा कर गया ॥
जिससे बढ़कर और दुनिया में नहींं ख़ुदगर्ज़ था ,
कल मगर इक अजनबी की जाँ बचाते मर गया ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...