Thursday, May 16, 2013

मुक्तक : 217 - चार क़दम पर



चार क़दम पर मंज़िल हो तो पहुँचें हम पैदल ॥
छोटी मोटी दूरी पार करें लेकर साइकल ॥
पर्यावरण रखें यों बेहतर सेहत को अच्छा ,
र बचाएँ नित-नित घटता पेट्रोल और डीज़ल ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...