Sunday, May 12, 2013

मुक्तक : 204 - ठाठ से शाही



ठाठ से शाही पलंग के नर्म गद्दों पर ॥
लोग करवट ही बदलते रहते है शब भर ॥
नींद आ जाए तो बिस्तर कौन तकता है ,
मैं तो खर्राटे लगाऊँ पेड़ पर चढ़कर ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...