Tuesday, May 14, 2013

मुक्तक : 214 - अमावस को भी


अमावस को भी हाँ पूनम की उजली रात लिखता हूँ ॥
न तोड़े जो किसी का दिल कुछ ऐसी बात लिखता हूँ ॥
मगर गाहे बगाहे ही ; हमेशा तो क़सम ले लो ,
सज़ा को मैं सज़ा , सौग़ात को सौग़ात लिखता हूँ ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति


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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...