Friday, May 3, 2013

मुक्तक : 193 - पहले थी जो



पहले थी जो ईद सी घट कर मोहर्रम हो गई ॥
शिक्षकों की दिन–ब-दिन इज्ज़त बहुत कम हो गई ॥
मानते थे पहले गुरु को लोग मानिन्दे ख़ुदा ,
अब वो श्रद्धा-आस्था जाने कहाँ गुम हो गई ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति


 

6 comments:

Unknown said...

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श्रीमान जी, आपकी दृष्टि सकारात्मक है सा.. आपका आभार सा.. आपको भी गुरु पर्व पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं ..
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डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Yash Babu जी !

Akash said...

baht ache

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Akash जी !

Kavi sachin gupta 'sonu' said...

Bahut khub sir ji bahut umda drist kon...

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! Kavi sachin gupta जी !

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...