Friday, May 10, 2013

मुक्तक : 202 - चाँद पे चढ़के


चाँद पे चढ़के समंदर में कूद पड़ जाऊँ ॥
कहके तो देखो मैं सूरज को भी बुझा आऊँ ॥
अपने दिल में जो बसाने का क़ौल दो मुझको ,
ग़ैरमुम्किन को भी मुम्किन बनाके दिखलाऊँ ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...