Sunday, May 5, 2013

मुक्तक : 196 - जिससे कोई न


जिससे कोई न और साफ़ हो ज़माने में ॥
वक़्त उसी को लगे ज़ियादा ग़ुस्लख़ाने में ॥
जितना देखा गया ग़रीब ख़र्च में माहिर ,
उतना पाया गया अमीर धन बचाने में ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...