Thursday, May 2, 2013

मुक्तक : 191 - जिसको रब



जिसको रब रखता उसे फ़िर कौन चखता ॥
और जिसकी आ गई हरगिज़ न बचता ॥
पर सँभलकर ही चलें जीवन में वर्ना ,
हर दफ़ा ग़लती ख़ुदा ना माफ़ करता ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...