Monday, May 6, 2013

मुक्तक : 197 - गिरते पाताल उच्च


गिरते पाताल उठा नील गगन हो जाते ॥
घोर तम भोर के सूरज की किरन हो जाते ॥
भूखे चीते जो लगे होते मनुज के पीछे ,
वृद्ध कच्छप युवा द्रुत गामी हिरन हो जाते ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति 

No comments:

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...