गिरते पाताल उठा नील
गगन हो जाते ॥
घोर तम भोर के सूरज की
किरन हो जाते ॥
भूखे चीते जो लगे होते
मनुज के पीछे ,
वृद्ध कच्छप युवा द्रुत
गामी हिरन हो जाते ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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